तुम्हारे जाने बगैर, तुम्हारे सोचे बगैर,सदियों से तुम्हारे पीछे-पीछे मैं आ रहा हूँ ! तुम पहले जैसी हसीन नही रही,थकान और उम्र ने मुझे भी तोड़कर रख दिया है। आगे-पीछे आवाजाही करने के हमारे इस खेल को ख़त्म करनेके लिए इस जगह मैं कई बार आया हूँ।जहाँ से तुम मुझसे या फिर मैं तुमसे आगे…
Month: August 2023
‘জুই’ নামৰ কবিতাটো স্পেনিছ ভাষালৈ (অনুবাদক, শ্রদ্ধাৰ বিনোদ কুমাৰ গগৈ)
শ্রদ্ধাৰ বিনোদ কুমাৰ গগৈ ডাঙৰীয়াই ‘জুই’ নামৰ কবিতাটো স্পেনিছ ভাষালৈ অনুবাদ কৰি মোক ধন্য কৰিলে। তেখেতলৈ আন্তৰিক কৃতজ্ঞতা জনালোঁ। El FuegoEl fuego, es una palabra primitiva,Una necesidad; Una convicción antiguaQue se produjo frotando dos piedras. El fuego, es un miedo sin nombre,Una precaución; Una costumbreAbrazada con devoción sincera. No puedo recordar exactamenteCuando llegué a saber…
तुम आए आख़िरकार (अनुबादकः दिनकर कुमार)
तुम आओगे !वैसा कोई गहरा यकीन नही था मुझे किसी दिन,मगर, तुम आए आख़िरकार। खो जाना ही होगा सबको एक दिन!जिस तरह खुश्बू खो जाती है हवा के किसी अंजान मुल्क मेंजितनी भी कोशिश करें,चाहत रुक नही सकती किसी कोचिर दिन चिर काल। हम सभी, क्रमश: लुप्त हो जाने के इंतज़ार में खड़े, एक-एक बिंदु…
लटकी हुई मेरी लाल-हरी कमीज (अनुबादकः किशोर कुमार जैन)
वह घर था सागर के किनारे, सागर मुझे पसंद है। सीने में सपने पालना जिसने मुझे सिखाया था; और लहरों के शोर से आतुर कर दिया था मेरा दिल। कई मंजिलो वाले राजमहल जैसा, उस घर की बालकनी में, आज भी स्पष्ट दिखाई देती है रक्तरंजित मेरी परछांई; और देखोगे, आते हुवे या जाते हुवे…