तुम्हारे जाने बगैरतुम्हारे सोचे बगैरसदियों से तुम्हारे पीछे-पीछे मैं आ रहा हूँ ! तुम पहले जैसी हसीन नही रही,थकान और उम्र नेमुझे भी तोड़कर रख दिया है। आगे-पीछे आवाजाही करने केहमारे इस खेल को ख़त्म करने के लिएइस जगहमैं कई बार आया हूँ। जहाँ से तुम मुझसे या फिर मैं तुमसेआगे निकाल गय़ा हूँ !…
Month: June 2024
तुम्हारे जाने बगैर (अनुबादकः दिनकर कुमार)
तुम्हारे जाने बगैरतुम्हारे सोचे बगैरसदियों से तुम्हारे पीछे-पीछे मैं आ रहा हूँ ! तुम पहले जैसी हसीन नही रही,थकान और उम्र नेमुझे भी तोड़कर रख दिया है। आगे-पीछे आवाजाही करने केहमारे इस खेल को ख़त्म करने के लिएइस जगहमैं कई बार आया हूँ। जहाँ से तुम मुझसे या फिर मैं तुमसेआगे निकाल गय़ा हूँ !…